Thursday, November 17, 2016

Acche Din : अच्छे दिन

सुबह साढे चार बजे अलार्म की चोंच बंद करने के बाद ना टूटने वाली नींद से कारगिल टाइप वाला लड़ाई लड़ने की फीलिंग आती है अगला बीस मिनट तक। और फिर जब कौनो तरह खुद को बिस्तर से बाहर निकाल बालकॉनी में जा मुँह पर छपाक से पानी मारते हुए नींद पर अपना डेली वाला ब्रह्मास्त्र चला देते है ना, तो कसम से दिवार के अमिताभ बच्चन टाइप एहसास होता है।
खैर, ये तो रोज़ की बात है, बाकी रोज़ जो हो रहा है उहे होगा, अइसन कौनो थोड़े ना कहा है।
आज लगा कुछ नया है, कुछ डिफरेंट ...
बहार निकले तो पड़ोस के चाचा बोले, "बेटा नोट बदल लिए ?"
इससे पहले हम हां या ना कहने को गर्दन हिलाये, वो फुल स्पीड में बोले, नहीं बदले तो परेशान मत होना, अब बैंक वाले घर घर जा कर नोट बदल रहे है, और साथ में मिठाई का डब्बा भी है। कल कोई बड़ा नेता बता रहा था।
खैर, हमको क्या, जब नोटे नै तो परेशान काहे हो। हम ठहरे चिल्लर वाले। वैसे भी कल तो हमारा चपरासी भी डायलॉग मार गया, "क्या सर, जिओ के लिए आप 6 घंटा लाइन में लगे थे, यहां भी लग जाइये, नेट प्रक्टिस तो हो ही गई है। " ससुरा, मुहलग्गा हो गया है। कुछो बक देता है।
हम भी ठान लिए, कि हम कौनो राहुल गाँधी के रिस्तेदार थोड़े ना लगे है की लैन में खड़ा हो। अइसे भी बस पंद्रह बीस दिन में ई सब अम्बानी, अडाणी, माल्या, नेता, मंत्री से ले कर पड़ोस वाली बहन जी आ यादव जी और तो और दूर वाली अम्मा जी आ हमारे गांव वाले सेठ आ उनका मुनीम, सब के सब पब्लिकली अपना अपना ब्लैक मनी का सरेंडर करने वाले हैं, फिर तो गर्दा हो जाएगा। एतना पैसा सिस्टम में आएगा कि स्विस बैंक वाले भी लाइन में लग के इंडिया का अकाउंट खोलेंगे।
बाबा रामदेव भी बोले थे, सब के खाते में पन्द्र लाख आएंगे , जल्दी ही हमारे खाता में भी होगा। फिर काहे दू-चार हजार के खातिर लैन में लगे।
आफिस के लिए निकले तो रस्ते में कई एटीएम के बाहर अइसे जशन मन रहा था, मानो इंडिया पाकिस्तान से क्रिकेट जीत गया हो आ जब आफिस पहुंचे तो नज़ारा ऐसे जैसे लगा राम राज आया हो। एटीएम पर खड़े बैंक के मुलाज़िम एटीएम पर आने वाले हर आदमी को चाय समोसा पूछ रहे थे। आ एटीएम तो खटा खट पइसा बाँटने में लगा था, वो भी एक ठो नै दस ठो।
ई चम्तकार कब हुआ, हम हैरान परेशान, अपना आफिस के चौकीदार से पूछे, जो एक करोड़ की लॉटरी जितने की तरह मुस्कुरा रहा था। बोला, साब जी, अभी अनाउंसमेंट हुआ कि, बैंकवाले सब के गली के बहार एटीएम लगा रहे है। मज़ा आ जाएगा, खूब सो सो के नोट निकालेंगे।
ऑफिस के भीतर पहुंचे भी नहीं कि, हमारे डेली रिपोर्टर मिसरा जी का लाइव टेलीकास्ट शुरू, "अरे आप को पता है, नरेंदर मोदी जी भी अब लाइन में लगेंगे, चार हज़ार रुपया बदलने के लिए, अब तो आप अपनी लाइन में ना लगने की जिद छोड़ दीजिये। "
"क्यों लगेंगे," हम एक टूक में पूछे।
"वो सब नेता लोग आ मिडिया वाले उनको कोस रहे थे, कि अपनी बूढी माँ के लिए तो कम से कम सिस्टम बायपास पर लेते। सब करते है, इनको इतना नौटंकी क्यों सूझ रही है। अरे हम भी किये है, हमारे पड़ोस की शर्मा जी बैंक में हैं, परसो हम उनको अपना बीस हज़ार दिए ,थे वो बदल के ला दिए। अब मोदी जी बैंक को बोलते तो कोई मना करता, फिर भी इतना ड्रामा। तो खुदे लाइन में लगेंगे। " वो सुर में बोल गए।
इतने में सिरामन ( हमारा मुहफट चपरासी ) चाय लाया। चाय रखने के बाद उछलता हुआ बोला, सर जी, एक चीज दिखाऊं, हैरान हो जाएंगे।
"सोने का अंडा है क्या ? " हम पूछे
"ना सर, उससे भी अच्छा, आईफोन 7, ये देखिये, कल शाम लिए और बीवी के बाद सब से पहले आप को दिखा रहे है। दो रोज़ लगा तार लाइन में खड़े रहे हैं तब मिला।
"ई कैसे लिए बे," हम लगभग चकराते चकराते पूछे।
"अरे वो एक पार्टी है, हर चार हज़ार पर सात सौ दे रही है, बदलने का। बस, हम हमारी बीवी को लाइन में लगा गए अलग अलग आ , दो और बैंक में नम्बर लगा के आ गए। चार दिन से यही किये। मेरी मानिये, आप भी छुट्टी ले के लाइन में लग जाइये सर।
"चल भाग , " हम हड़काते हुए बोले।


इन्टरनेट पर समाचार खोला तो हर जगह मोदी का विरोध। फेसबुक खोला तो वह भी विरोध। अब जब काम विरोध वाला किया तो, कुछ तो लोग कहबे करेंगे।
खैर, हमने भी कीबोर्ड के सीने पर उंगली से तबला बजाना शुरू कर दिया।
का करे, कहीं किसी नेता के भाषण में सुने थे - ".... कि विरोध न करना बहुत गलत बात होती है, लेकिन सिर्फ विरोध के लिये विरोध करना उससे भी गलत बात है।"
सो, लंबा चौड़ा एक तर्क, वितर्क और कुतर्क का विरोध रायता बना के हर जगह फैलाय दिया, हमने भी। अब लोग हमे देश द्रोही कहेंगे, देश के अर्थव्यस्था से संवेदनहीन कहेंगे तो क्या। भक्त और देशभक्त बन के भी कौन से गुलाब जामुन मिलने है। बात की बात है, वक़्त और हालात की बात है। कल फिर से जय जय कर देंगे।

- Kunwar Kumar 

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